धन्धेबाजों ने कर डाला शिक्षा में भी 700 करोड़ का घोटाला। शुरूआती दौर में जिन कॉलेजों का नाम आया है, उसमें ये प्रमुख हैं।
डॉ0एम0सी0सक्सेना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी,धैला रोड़,लखनऊ।
डॉ0एम0सी0सक्सेना इन्सटीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड मैनेजमेन्ट,धैला रोड़,लखनऊ।
डॉ0एम0सी0सक्सेना कॉलेज ऑफ फॉमेसी,धैला रोड़,लखनऊ।
रामेश्वरम इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
रामेश्वरम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
टीडीएल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,सुल्तानपुर रोड़,लखनऊ।
बोरा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट साइंसेज,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
बोरा इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड हेल्थ साइंसेज,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
इंस्टीट्यूट ऑफ इन्वायरनमेन्ट एण्ड मैनेजमेन्ट,कुर्सी रोड़,लखनऊ।
आर्यकुल कॉलेज ऑफ मैनेजमेन्ट,बिजनौर रोड़,लखनऊ।
आर्यकुल कॉलेज
ऑफ फॉमेसी बिजनौर रोड़,लखनऊ।
आरआर इंस्टीट्यूट
ऑफ मार्डन टेक्नोलॉजी,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
इंस्टीट्यूट
ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,मामपुर बाना़,बीकेटी,लखनऊ।
आईटीएम स्कूल
ऑफ मैनेजमेन्ट, मामपुर बाना़,बीकेटी,लखनऊ।
जीसीआरजी मेमोरियल ट्रस्ट ग्रुप
ऑफ इंस्टीट्यूशन्स,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
जीसीआरजी मेमोरियल ट्रस्ट ग्रुप
ऑफ इंस्टीट्यूशन्स,फैकल्टी
ऑफ मैनेजमेन्ट,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
जीसीआरजी मेमोरियल ट्रस्ट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स,फैकल्टी आफ इंजीनियरिंग,सीतापुर रोड़,लखनऊ।
मोतीलाल रस्तोगी स्कूल ऑफ मैनेजमेन्ट,सरोजनी नगर,लखनऊ।
आर्यावर्त इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,रायबरेली रोड़,लखनऊ।
हाइजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स एजूकेशन एण्ड रिसर्च,धैला रोड़,लखनऊ।
लखनऊ मॉडल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट,मोहनलाल गंज,लखनऊ।
लखनऊ मॉडल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,मोहनलाल गंज,लखनऊ।
काकोरी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,बिस्मिल नगर,लखनऊ।
बंसल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी सीतापुर रोड़,लखनऊ।
एमजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,बंथरा,लखनऊ।
भालचन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एण्ड मैनेजमेन्ट,हरदोई रोड़,लखनऊ।
गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेन्ट,फैजाबाद रोड़,लखनऊ।
गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ फॉमेसी एण्ड साइंसेज,फैजाबाद रोड़,लखनऊ।
श्री रामस्वरूप मेमारियल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड मैनेजमेन्ट,फैजाबाद रोड़,लखनऊ।
श्री रामस्वरूप मेमारियल कॉलेज ऑफ मैनेजमेन्ट,फैजाबाद रोड़,लखनऊ।
जॉंच के पहले चरण में उपरोक्त 31 संस्थानों को चुना गया है। शिक्षा के नाम पर किये गये 7 अरब के इस घोटाले में तकनीकी एवं प्रबन्धन संस्थान सबसे आगे हैं। इनमें अनुसूचित जाति के युवकों के दस्तावेज इकठ्ठा करके केवल कागजों पर प्रवेश दिखा कर उनको मिलने वाली सहायता की लूट कर ली गई। ऐसे संस्थानों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति एक्ट के तहत ही एफआईआर लिखकर कार्रवाई होनी चाहिए।
इटावा,औरेया,मैनपुरी,बांदा,हमीरपुर,आदि जिलों के अनुसूचित जाति के युवकों के दस्तावेजों के आधार पर केवल कागजों में प्रवेश दिखाकर करोड़ों रूपये हड़प लिए गए। ऐसे छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति की राशि समाज कल्याण से अनियमित तरीके से प्राप्त कर ली गई,जिसमें निश्चित रूप् से समाज कल्याण विभाग की भी अहम भूमिका रही है। कॉलेजों ने समाज कल्याण से फर्जी तरीके से दो से आठ करोड़ रूपये तक निकाल लिए।
कॉलेजों ने जीबीटीयू में पंजीकृत छात्र संख्या और समाज कल्याण को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए भेजी गई सूची में भी हेराफेरी की। कॉलेजों ने फर्जी मार्कशीट बनाकर समाज कल्याण से धन लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आश्चर्य तो इस बात का है कि इनमें से पॉच लोग अखबार चलाने का भी धन्धा कर रहे हैं।
शासन ने बीस से अधिक प्रशासनिक अधिकारियों की टीम जॉच के लिए बनाई है तथा जॉच जिलाधिकारियों को सौंप दी गई है,तथा जॉंच के विभिन्न बिन्दुओं की गहन पड़ताल करने का निर्देश दिया गया है। इन सब कॉलेजों को पकड़ा जाना कोई कठिन कार्य नहीं है। कॉलेजों ने अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का फर्जी प्रवेश प्रथम वर्ष में ही दिखाया होगा? क्योंकि जब वास्तव में छात्र हैं ही नही तो परीक्षा में कैसे शामिल हो सकते हैं,जिस वजह से दूसरे वर्ष में वे कैसे पहुंच सकते हैं? कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेशित विद्यार्थी(जीबीटीयू में पंजीकृत),परीक्षा में शामिल विद्यार्थीयों की संख्या और समाज कल्याण विभाग की शुल्क प्रतिपूर्ति एवं छात्रवृत्ति के लिए भेजी गई सूची की मिलान करके इस धोखाधड़ी को आसानी से उजागर करते हुए इनके प्रबन्धतंत्र के खिलाफ आईपीसी की धारा के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
कई कॉलेजों के जीटीबीयू में प्रथम वर्ष में पंजीकृत छात्र और समाज कल्याण विभाग को भेजी गई सूची में दर्शाए गए छात्रों की संख्या में बहुत बड़ा अन्तर है,और ऐसा समाचार-पत्रों का प्रकाशन करने वाले लोगों ने भी किया है। क्या समाचार-पत्र का प्रकाशन महज इसीलिए तो नहीं किया गया? इससे अधिक कोई जानकारी पाठक रखते हों तो कृपया jnnnine@gmail.com पर ईमेल करें।(सतीश प्रधान)