जयराम रमेश ने कैथोलिक संगठन कैरिटस इण्डिया के स्वर्ण जयन्ती समारोह का उदघाटन करते हुए कहा कि मैं कैरिटस इण्डिया से धर्मान्तरण में शामिल न होने की भावना के सम्मान की उम्मीद करता हूं। यह उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्देश्य आपके जैसे संगठनों की शक्तियों को सरकार और आदिवासी समुदायों के बीच विश्वास की कमी को तोड़ने में हमारी मदद में इस्तेमाल किये जाने का है। यह हमारा उद्देश्य है।
आर्कबिशपों और बिशपों सहित कैथोलिक पादरी श्रोताओं की खचाखच भरी भीड़ को सम्बोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि वह कैरिटस इण्डिया के बारे में कैथोलिक संगठन के रूप में नहीं, बल्कि कैथोलिक द्वारा संचालित सामाजिक संगठन के रूप में बात कर रहे हैं। माओवादियों के प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि चुनौती यह है कि हम माओवादी हिंसा के समूचे मुद्दे से किस तरह निपटें जो आदिवासी क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैल रही है।
जयराम रमेश ने कहा कि उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि सभी मध्य भारतीय आदिवासी इलाके आज उस बुराई की चपेट में हैं जिसे हमारे प्रधानमंत्री हमारे देश की सबसे गम्भीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती करार दे चुके हैं। जयराम रमेश ने कहा कि एक ऐसी विचारधारा की वजह से इन इलाकों में लोग शांति, सामान्य स्थिति और सौहार्द लाने में सक्षम नहीं हो पा रहे, जो सभी लोकतांत्रिक संस्थानों को उखाड़ फेंकने पर केन्द्रित है। उन्होंने कहा कि कैरिटस इण्डिया और रामकृष्ण मिशन जैसे संगठनों को इन क्षेत्रों में महत्वपूंर्ण भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन सामाजिक संगठनों को एक लक्ष्मण रेखा का सम्मान करना चाहिए। माओवाद प्रभावित इलाकों में कैरिटस इण्डिया को शामिल किए जाने पर भाजपा शासित राज्य झारखण्ड में संभावित विरोध को देखते हुए रमेश ने कहा कि आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए।