पार्टी की एकमात्र डिक्टेटर और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती के खिलाफ आखिरकार विरोध के स्वर उभर ही आये। उ0प्र0 विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी के मिशनरी लोगों ने अनतत्वोगत्वा मोर्चा खोल ही दिया। इसके लिए दिल्ली में एक पब्लिक मीटिंग की गई, जिसमें अच्छी-खासी भीड़ एकत्र हुई। इसमें देशभर से आये लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। यह पब्लिक मीटिंग ‘बहुजन मूवमेन्ट बचाओ’ राष्ट्रीय आन्दोलन के तत्वाधान में आयोजित की गई।
मीटिंग में बसपा के संस्थापक सदस्य रामप्रसाद मेहरा ने कहा कि कांशीराम ने सामाजिक परिवर्तन एवं बहुजन समाज की आर्थिक मुक्ति के जिस उद्देश्य से पार्टी की स्थापना की थी, उनकी असमय मृत्यु के बाद मायावती ने उस मकसद को समाप्त कर दिया। असंख्य जिम्मेदार कार्यकर्ताओं व संगठन के अहम पदों पर कार्य करने वाले मिशनरी कार्यकर्ताओं को निष्कासित करने के लिए षडयन्त्र रचे गये। नतीजतन कुछ कर्मठ कार्यकर्ता घर बैठ गए तो कुछ ने दूसरी पार्टीयों का दामन थाम लिया। इसके कारण बसपा आज अपराधियों, भ्रष्टाचारियों, दलालों, लुटेरों व मनुवादियों की शरणस्थली बनकर रह गई है।
पार्टी के पूर्व सांसद प्रमोद कुरील व वरिष्ठ कार्यकर्ता एलबी पटेल ने कहा कि पार्टी को फिर से कांशीराम के सपनों की पार्टी बनाने के लिए बसपा से मायावती को हटाना होगा। इसके लिए देशभर में सभी बसपा कार्यकर्ता एकजुट होकर लोगों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं की जागरूक करेंगे। पूरे देश में मायावती हटाओ-बीएसपी बचाओ अभियान चलाया जायेगा। यह जागरूकता अभियान कितना सफल होगा यह तो वक्त ही बतायेगा, लेकिन इतना तो निष्कर्ष निकलता ही है कि आखिरकार नक्कारखाने में तूती की आवाज सुनाई तो दी।
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