विश्व में जहॉं एक ओर विकासशील देश परमाणु ऊर्जा के लिए जीतोड़ गफलत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूंर्ण रूप से विकसित जापान इस प्रकार की खतरनाक एटामिक पॉवर इनर्जी (परमाणु विद्युत ऊर्जा) से किनारा करने में लगा है। विश्वयुद्ध के दौरान अपने दो शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला झेल चुके जापान में परमाणु ऊर्जा का उत्पादन आज से धीर-धीरे कम होते हुए अतीत की बात हो जायेगी।
1970 तक जापान में दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र थे जिन्हें 4 मई 1970 को रखरखाव के लिए पॉंच दिनों तक बन्द रखा गया था। पिछले साल मार्च में जब भूकम्प और सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी रेज़ का रिसाव हुआ और विकिरण फैला तो भारी तबाही मची और जनता का परमाणु ऊर्जा से मोह भंग हो गया, जिसका असर वहॉं की सरकार पर पड़ा, और उसी कारण से होकाइदो इलेक्ट्रिक पॉवर कम्पनी ने ऐलान किया कि उसने शम पॉंच बजे से उत्तरी जापान स्थित तोमारी परमाणु संयंत्र की 912 मेगावाट की क्षमता वाली तीन नम्बर की इकाई से बिजली का उत्पादन कम करना शुरू कर दिया है। इस प्रकार से उगते सूरज के देश में सभी 50 परमाणु रिएक्टरों से ऊर्जा उत्पादित करने के सूरज को अस्त कर दिया गया। (सतीश प्रधान)
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