एशियाई मूल के लोगों के घरों में सेंधमारी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ब्रिटेन की पुलिस ने उन इलाकों में विशेष जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय किया है, जहॉं भारतीय उप महाद्वीप के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। भारतीय मूल के लोग बर्मिघम, स्लॉज, ईलिंग, लीसेस्टर, मैनचेस्टर, और ब्रेडफोर्ड में रहते हैं, इसीलिए यह अभियान विशेष तौर पर यहीं चलाया जा रहा है। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही है। ब्रिटेन में मन्दी के बावजूद सोने की कीमतें बढ़ रही हैं, इसी कारण सेंधमार सोने की चोरी को अंजाम दे रहे हैं।
इस खजाने से पूरे विश्व को इंग्लैण्ड यह समझाने की भले ही असफल कोशिश करे कि वह समृद्धशाली है, लेकन सत्यता यह है कि जबतक वह अपने सोने के भण्डार को बेचता नहीं है उसके यहॉं छाई मन्दी के दौर में ऐसी खोखली समृद्धि का क्या फायदा? वर्ष 1991 में भारत पर 163000 करोड़ रूपये का कर्ज था और जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री स्व0 चन्द्रशेखर के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार ने 67 टन सोना गिरवी रखकर आई.एम.एफ. से दो अरब डॉलर का कर्ज लिया था।
भारत की इस नीति का अनुशरण करके ब्रिटेन अपने यहॉ सुरक्षित सोने के भण्डार में से कुछ टन सोना भारत को बेंचकर अपने यहॉं आई मन्दी से सामना करने के साथ ही सेंधमारी करने वाले लोगों में हो रहे इजाफे को कम जरूर कर सकता है। इसी के साथ ब्रिटेन मन्दी की मार से भी राहत पा सकता है। ब्रिटेनवासी कृपया इस पोस्ट पर अपने कमेन्ट प्रेषित कर वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहें। (सतीश प्रधान)