दिल्ली – राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति घोटाले में गिरफ्तार पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को विशेष सी.बी.आई. अदालत ने लम्बे समय तक हिरासत में तिहाड़ जेल में रखने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है। कलमाड़ी को सी.बी.आई. ने 25 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। 25 अप्रैल से 3 मई तक सी.बी.आई. कलमाड़ी एण्ड कम्पनी (आयोजन समिति के पूर्व संयुक्त महानिदेशक (खेल) एस0वी0प्रसाद और आयोजन समिति के पूर्व उपमहानिदेशक (व्यवस्था) सुरजीत लाल साथ में जेल में हैं) से कुछ खास नहीं उगलवा सकी थी। इसीलिए 4 मई को अदालत में पेश करने के बाद 14 दिन की रिमाण्ड मांगी गई जिसे विशेष सी.बी.आई. जज धर्मेन्द्र शर्मा ने मंजूर कर लिया।
सी.बी.आई. को यह रिमाण्ड बार-बार नहीं मिलेगी इसीलिए सी.बी.आई. ने एक माह के भीतर ही कलमाड़ी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल कर कलमाड़ी को तकनीकी आधार पर जमानत पाने का रास्ता पूरी तौर पर बन्द कर दिया है। कलमाड़ी के साथ आयोजन समिति के छह अधिकारियों को स्विस कम्पनी को टाइम स्कोरिंग एण्ड रिजल्ट का ठेका देने का आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा फरीदाबाद के जैम baVjus”kuy के दो मालिकों और हैदराबाद की ए0के0आर dUlVªD”ku के मालिक के नाम भी आरोप पत्र में हैं।
इन सभी पर धोखाधड़ी फर्जी दस्तावेज़् बनाने और पद का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को चूना लगाने की साज़िश रचने का आरोप है। जो काम सिर्फ 62 करोड़ में स्पेन की कं0 करने को तैयार थी उसे इस मण्डली ने 158 करोड़ में करने का ठेका स्विस कं0 को दिया। सीबीआई को इन सभी पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करना चाहिए। क्या थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ भारत की निर्दोष जनता ही बनी है। देश को गधे की तरह 24 घण्टे चर रहे ये नेता थाने पहुंचते ही बीमार पड़ जाते हैं और अस्पताल में भर्ती होने का जुगाड़ लगाने लगते हैं।
सुप्रीम कोर्ट को भारतीय चिकित्सा जगत को भी आगाह कर देना चाहिए कि जेल में बन्द किसी भी व्यक्ति के बन्द होने की स्थिति में उसकी चिकित्सा से संबंधित शिकायत पर देश हित में अपनी राय दें ना कि उसकी हैसियत को देखते हुए अथवा किसी तरह के प्रलोभन को देखते हुए। यदि इसके विपरीत किसी डाक्टर की गतिविधि पाई जाये तो उसका मेडिकल लाईसेन्स कम से कम दस वर्ष के लिए निलम्बित कर देना चाहिए।
वैसे कलमाड़ी एण्ड कम्पनी के लिए थर्ड डिग्री के इस्तेमाल की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। एक करारा थप्पड़ इन सभी अधिकारियों के सामने कलमाड़ी पर जड़ दिया जाये बस सारा कुछ स्वयं कलमाड़ी कबूल देंगे। लेकिन यहां यह भी देखा जाना है कि कलमाड़ी जेल के अन्दर से भी कई करोड़ का ऑफर सी.बी.आई. को देने में सक्षम है। यहां यह भी उल्लेख किया जाना नितान्त आवश्यक है कि भारत में वित्तीय अपराध कोई अपराध ही नहीं माना जाता है। पता नहीं काला धन जमा करने वालों के खिलाफ इतने कड़े कानून क्यों नहीं हैं जितने कड़े कानून एक गरीब की जमीन वह भी जनहित के शब्दजाल के नाम पर अधिग्रहीत करने के लिए बने हैं। एक गरीब की जमीन ये सरकार इमरजेन्सी सेक्सन (6@17) के तहत् जबरन अधिग्रहीत कर लेती है लेकिन भ्रष्ट तरीकों से कमाये गये कालेधन को हवाला के जरिए स्विस बैंक तथा अन्य विदेशी बैंकों में जमा करने वाले भारतीयों के खिलाफ ऐसी धारा का प्राविधान नहीं रखा गया है।
जनहित एवं राष्ट्रहित में ऐसा कानून बनना चाहिए जो ऐसे कृत्यों को राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में रखे। वास्तविक धरातल से इतर कई गुना ज्यादा अधिक की प्रोजेक्ट के लिए जनता से पब्लिक ऑफर के तहत् शेयर से पैसा इकट्ठा करने वाली कम्पनी के सारे निदेशकों की सम्पत्ति को इमरजेन्सी क्लाज़ के तहत् जब्त कर उनका डिन कौन्सिल करने का प्राविधान होना ही चाहिए जिससे वे कोई दूसरी कम्पनी न बना सके इसी के साथ उस चार्टेड एकाउन्टेन्ट कम्पनी का लाईसेन्स भी रद्द किया जाना चाहिए।
सतीश प्रधान
सतीश प्रधान