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Saturday, October 22, 2016

भ्रष्टाचार की रेलम-पेल, गणेशन पास, मित्तल फेल

सतीश प्रधान 

उ0प्र0 राज्य मुख्यालय मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति

लखनऊ। डीएवीपी (डायरेक्टोरेट आफ एडवरटाइजिंग एण्ड वीज्यूल पब्लिसिटी) में भ्रष्टाचार, इस कदर हावी है कि सूचना सचिव, श्री अजय मित्तल जो कि कुछ माह पूर्व ही हिमांचल प्रदेश से दिल्ली आये हैं, कुछ भी करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, और उनके नाम की आड़ में डीएवीपी भ्रष्टाचार मचाये हुआ है। उन्हीं का नाम लेकर समाचार-पत्रों को प्वांट सिस्टम में बांधने और लघु एवं मध्यम समाचारपत्रों को तबाह करने का खेल खेला जा रहा है। डीएवीपी के अधिकारी खुलेआम कह रहे हैं कि जो कुछ भी डीएवीपी में हो रहा है, वह सारा कुछ सूचना मंत्रालय के निर्देश पर ही हो रहा है। मित्तल जी हिमांचल में भी पी0आर0 देखते रहे हैं और साराकुछ उन्हीं के निर्देशन पर हो रहा है, इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
Ajay Mittal, Secretary, Information & Broadcasting, Govt. of India

तो क्या ये समझा जाये कि डीएवीपी के अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस, सूचना मंत्रालय ने जारी कर दिया है। डीएवीपी के निदेशक, आर0सी0 जोशी, महानिदेशक श्री के0 गणेशन, मीडिया एग्जीक्यूटिव, बी0पी0 मीना और सहा0 मीडिया एग्जीक्यूटिव्स का एक कॉकस बना हुआ है, जो करोड़ों के भ्रष्टाचार में लिप्त है और माननीय नरेन्द्र मोदी की सरकार को ठेंगे पर रखे हुये है। या ये समझा जाये कि डीएवीपी के अधिकारी भ्रष्टाचार से कमाई जा रही रकम का कुछ हिस्सा ऊपर भी पंहुचा रहे हैं।
                एक हकीकत पेश करता हूं। अत्तर प्रदेश के एक छोटे से जनपद इटावा के लिए डीएवीपी द्वारा 01 अप्रैल, 2016 से 19 अक्टूबर 2016 तक जारी किये गये विज्ञापनों की कम्परेटिव लिस्ट, जो मेरुदण्ड विहीन समाचार-पत्र मालिकों की चेतना को जाग्रत कर पाये तो उन्हीं के हित में है।
K.Ganeshan,Director General of DAVP
उ0प्र0 के जनपद इटावा से प्रकाशित डीएवीपी में जिन हिन्दी दै0 को विज्ञापन जारी किये गये हैं, वो हैं सात। इनमें 13:49 प्रतिवर्ग से0मी0 की दर से लेकर रु28.44 प्रतिवर्ग से0मी0 की दर तक के समाचार-पत्र हैं, लेकिन सबसे अधिक 46 विज्ञापन जिस समाचार-पत्र को दिये गये हैं उसका नाम है, आज का विचार, राष्ट्रीय विचार (इसकी दर है रु 20.68 प्रतिवर्ग से0मी0) जिसे 26 हजार 421 वर्ग से0मी0 के विज्ञापन जारी किये गये हैं, जो सेटिंग-गेटिंग का मास्टर है।
          ताज्जुब इस बात का है कि समाचार-पत्र, ब्लैक एण्ड व्हाइट ही छपता है और उसी में रजिस्टर्ड फिर भी है, फिर भी सारे के सारे विज्ञापन उसे रंगीन ही जारी किये गये हैं, जिसकी कुल धनराशि रुपये छह लाख, चालीस हजार बयालिस रुपये है। डीएवीपी के मीडिया एग्जीक्यूटिव बी0 पी0 मीना ने इसके एवज में रू0 तीन लाख बीस हजार रूपये वसूले हैं। जाहिर है, ये विज्ञापन एडीजी स्तर से ही पास हुए होंगे, इसलिए ये कैसे समझा जा सकता है कि ये कारनामा केवल मीना का ही है।
          इटावा से प्रकाशित देशधर्म, हिन्दी दै0 को कुल 4083.00 वर्ग से0मी0 के मात्र सात विज्ञापन दिये गये हैं, जबकि उसकी दरें, इससे कहीं अधिक रू0 24.03 प्रतिवर्ग से0मी0 हैं। इसी तरह दै0 सबेरा को कुल 10,002 वर्ग से0मी0 के विज्ञापन जारी किये गये हैं जबकि उसकी दरें रू0 28.44 प्रतिवर्ग से0मी0 हैं तथा मूल्य बना है मात्र दो लाख इकतालिस हजार। इसी प्रकार हिन्दी दै0 दिन-रात को मात्र एक लाख ग्यारह हजार के कुल 6338 से0मी0 के 11 विज्ञापन जारी किये गये हैं, जबकि दर उसकी भी रू0 20.68 ही है। माधव सन्देश हिन्दी दै0 को एक लाख छह हजार रूपये के 5135 से0मी0 के 8 विज्ञापन ही जारी किये गये।
         सबसे दुखदायी और विडम्बना वाली बात यह है कि इटावा से प्रकाशित होने वाले दोनों उर्दू दैनिक समाचार-पत्र यथा पैगाम-ए-अजीज और जमीनी आवाज को इस दौरान एक धेले का भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया है, जबकि उनकी दरें भी क्रमशः रू0 17.12 एवं रू0 13.49 प्रति वर्ग से0मी0 हैं।
छयालिस विज्ञापन वो भी छब्बीस हजार चार सौ इक्कीस से0मी0 के तो लखनऊ से प्रकाशित होने वाले नामी-गिरामी अखबारों को भी नहीं जारी किये गये, जबकि उनकी हैसियत, आज का विचार, राष्ट्रीय विचार से कहीं अधिक है। इनमें हैं, दै0 आज, जिसे कुल 19,295 से0मी0 के 25 विज्ञापन ही मिले हैं। नवभारत टाइम्स (दिल्ली) को 22,025 से0मी0 के मात्र 30 विज्ञापन, स्वतंत्र भारत को 15, जनसत्ता को 12, वायस आफ लखनऊ को 6, नार्थ इण्डिया स्टेट्समैन को 8टेलीग्राफ इण्डिया को 7, अवधनामा को 13, प्रभात को 11 वहीं इसके दूसरी तरफ स्पष्ट वक्ता को 22, स्वतंत्रता चेतना को 16, तरूण मित्र को 15यूनाइटेड भारत को 27, वायस आफ मूवमेन्ट को 17 विज्ञापन जारी किये गये हैं, और इनमें भी बड़ा खेल किया गया है। लखनऊ के लिए जारी किये गये विज्ञापनों की समीक्षा अगली बार की जायेगी। नागराज दर्पण ने भी किस तरह से डीएवीपी को अपने कब्जे में लिया हुआ है, इसकी स्टोरी भी आगे दी जायेगी।
हम आपको इसी तरह प्रत्येक जनपद की समीक्षात्मक रिर्पाेट प्रस्तुत करेंगे और इसके बाद मा0 न्यायालय में रिट फाइल की जायेगी, यदि इन तथ्यों पर सूचना सचिव श्री अजय मित्तल जी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो।