अमेरिका की किसी बात पर यकीन नहीं, यह भी तो हो सकता है कि यह सब ड्रामा हो। लादेन था तो उन्हीं का आदमी, लादेन मरा भी या नहीं, क्या भरोसा।
‘मौलाना कल्बे जव्वाद’ शिया आलिम
समुद्र में दफनाना इस्लामी रिवायत नहीं। समुद्र में तो दफनाया ही नहीं जा सकता। कोई कितना ही बुरा क्यों न हो, आखिरत के कुछ उसूल होते हैं। जिनका पालन तो होना ही चाहिए।
‘डॉ0 मौलाना जैनुस्साजिदीन’ (अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के दीनयात के पूर्व अध्यक्ष और आलिम)
समुद्र में तो तैराया जाता है, दफनाया नहीं जाता। यह नामुमकिन बात है, हमको अमेरिका की बातों पर यकीन नहीं।
‘कारी शफीकुर्रहमान कासमी’ vkWy इण्डिया मुस्लिम कौंसिल के महासचिव’
कोई कितना भी बड़ा आतंकी क्यों न हो, लेकिन उसके अन्तिम संस्कार में धार्मिक मान्यताओं और संवेदनशीलता का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए|
‘दिग्विजय सिंह’ कॉंग्रेस पार्टी के महासचिव एवं म0प्र0 के पूर्व मुख्यमंत्री
‘दिग्विजय सिंह’ कॉंग्रेस पार्टी के महासचिव एवं म0प्र0 के पूर्व मुख्यमंत्री
दुर्दान्त आतंकवादी घोषित किये गये ओसामा बिन लादेन को समुद्र में दफनाने की बात उलेमा-ए-दीन को हजम नहीं हो रही है । उलेमा का कहना है कि समुद्र में तो समाधि दी जाती है, दफनाया नहीं जा सकता ।
उन्होंने अमेरिका से यह पूछा है कि वह यह बताये कि कौन से इस्लामी रीति-रिवाजों के तहत लादेन को दफनाया गया। वैसे तो अमेरिका के प्रेसीडेन्ट ओबामा भी मुस्लिम ही हैं, जो इसका डायरेक्ट लाइव देख रहे थे। वही अपने वीडियो को फिर से देखें और फिर दुनिया को दिखायें कि किस तरीके से लादेन को समुद्र में दफनाया गया। उलेमा चुटकी लेते हुए कह रहे हैं कि .... समुद्र में दफनाने का अजूबा भी अमेरिका ही कर सकता है।
उलेमा को अमेरिका के दावे पर अब भी यकीन नहीं है। उलेमा को क्या कहिए, मुझे भी इस दावे और उसके पक्ष में दिखाये गये वीडियो, प्रसारित खबरों और किये गये कृत्यों एवं प्रसारित बयान, फिर संशोधित बयान आदि से यह निष्कर्ष निकालने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि यह एनकाउन्टर भी वैसा ही है, जैसा हमारे मुम्बई पुलिस के एनकाउन्टर स्पेशलिस्ट शर्मा किया करते थे। फर्क केवल इतना है कि एनकाउन्टर का शतक बनाने वाले महाराष्ट्रीयन दरोगा शर्मा जी जेल में हैं और विश्व के दरोगा अमेरिका को कौन छू सकता है। लेकिन यह सच है कि भूत हिन्दुस्तान में भी होते हैं, इंग्लैण्ड में भी होते हैं और अमेरिका में भी हैं। कौन सा भूत किसको कहॉं और कब पकड़ेगा पता नहीं।
उलेमा का कहना है कि अमेरिका पहले भी ओसामा बिन लादेन को मारने का दावा कर चुका है। दारूल उलूम वक्फ देवबन्द के उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी और अरबी के मशहूर आलिम मौलाना नदीमुल वासदी कहते हैं कि अमेरिका का कदम पूरी तरह गैरशरई है। दोस्त हो या दुश्मन, मरने के बाद किसी के साथ ऐसा सलूक नहीं किया जाता, जैसा अमेरिका ने किया। समुद्र में कैसे दफनाया जा सकता है भला।
उलेमा ने कहा कि समुद्री सफर के दौरान यदि किसी की मौत हो जाये और किनारे तक igqWapuk कठिन हो, तभी समुद्र में आखिरत दी जाती है। यहॉं तो मारा बताया गया जमीन पर और उसके मृत शरीर को ले उड़े हवाई जहाज में, फिर दफनाने की बात कर रहे हैं समुद्र में। कौन सी स्टोरी बनाई है अमेरिका ने।
अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के दीनयात के पूर्व अध्यक्ष और आलिम डॉ0 मौलाना जैनुस्साजिदीन ने कहा कि समुद्र में दफनाना इस्लामी रिवायत नहीं है। समुद्र में तो दफनाया ही नहीं जा सकता। दफन शब्द तो जमीन का हिस्सा है।
कुरआन-ए-पाक की आयत है कि जमीन से ही हमने तुमको पैदा किया, इसी से हम तुमको दाखिल कर रहे हैं और इसी से हम निकालेंगे। किसी को दफनाते हुए यही पढ़ा जाता है। जाहिर है यह नहीं हुआ होगा, और यदि हुआ है तो उस शख्स को तुरन्त दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए, वह शख्स पाकिस्तान की धरती पर आकर, कुरआन-ए-पाक की कसम खाकर बोले कि उसने ओसामा बिन लादेन को समुद्र में दफनाते समय इस आयत को पढ़ा था।
दो दिनों से लगातार इलैक्ट्रॉनिक चैनलों द्वारा ओसामा के सम्बन्ध में प्रसारित खबरों का विश्लेषण करने के पश्चात् इस निष्कर्ष पर आसानी से igqWapk जा सकता है कि यह हिस्ट्री नहीं मिस्ट्री है। जब एक बार यह खबर अमेरिका द्वारा प्रसारित कर दी गई कि अमेरिकी अभियान के दौरान ओसामा बिन लादेन ने खुद ही मोर्चा संभाला हुआ था और ताबड़तोड़ जवाबी फायरिंग की थी। व्हाईट हाऊस के मुताबिक उसने अमेरिकी कमांडोज का डटकर विरोध किया था तो फिर उसे संशोधित बयान जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी। संशोधित बयान में व्हाईट हाऊस का कहना है कि जब अमेरिकी सील कमांडोज ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया तो उस समय वह निहत्था था।
24 घंटे के अन्दर ही जारी किये गये बयान से पलट जाना निश्चित रूप से सन्देह पैदा करता है। व्हाईट हाऊस का कहना है कि ओसामा बिन लादेन की हवेली में न टेलीफोन था, और ना ही इन्टरनेट, जबकि वीडियो में एक जगह ‘एअर डिश’ दिखाई दी है। वहीं दूसरी ओर इजरायली खुफिया एजेन्सी का कहना है कि ओसामा की हवेली में फोन, इन्टरनेट कनैक्शन सहित आधुनिक तकनीक के समस्त उपकरण मौजूद थे।बात यह भी खुलकर सामने आ रही है कि यह सब ओबामा द्वारा जिनकी अपनी ख्याति अमेरिका में घटती जा रही है, अपना अगला चुनाव जीतने के चक्कर में अमेरिकी जनता की vkWaa[k में धूल झोंकने के लिए अपनाया गया हथकण्डा है।
दुनियां का इतना दुर्दान्त आतंकवादी और अलकायदा का सरगना, ओसामा बिन लादेन एक एनकाउन्टर में मार दिया जाये और वह एक भी गोली ना चला पाये, कैसे सम्भव है। ये तो वैसी ही कहानी लग रही है जैसी हमारे यहां गुजरात में गढ़ी गई थी, जिसकी पोल धीरे-धीरे खुल रही है। हमने तो मुख्तार अंसारी के ही वीरता के किस्से सुन रखे हैं जब उन्हें कोई नहीं छू सकता तो लादेन तो कई गुना आगे है, उसे 40 आदमियों का गिरोह मार दे, और उस गिरोह का एक सदस्य भी ना मारा जाये, हो ही नहीं सकता। यह तो वैसी ही कहानी हो गई कि कोई बच्चे को सुनाये कि चूहा एक जिन्दे सांप को खा गया, लेकिन इस कहानी पर बच्चा भी यकीन नहीं करेगा।
ओसामा बिन लादेन की कहानी तो अभी तब तक चलनी है जब तक उसका सही खुलासा नहीं हो जाता, लेकिन लादेन की पत्नी और उसके बच्चों को भी कमान्डोज उठाकर ले गये, जायज नहीं है। पत्नी और बच्चों ने क्या अपराध किया है। जब आप किसी को सम्मानित करते हैं या मैग्सेसे पुरूस्कार देते हैं तो क्या उसकी पत्नी और बच्चों को भी सम्मानित करते हैं, कदापि नहीं। फिर किस बिना पर आप किसी को सजा दे रहे हैं, तो उसकी बेकसूर पत्नी और बच्चों को सजा दे रहे हैं। कहां गया आपका मानवाधिकार कानून। क्या यही मानवाधिकार है, जो अमेरिका के लिए अलग, इंग्लैण्ड के लिए अलग, भारत के लिए अलग और पाकिस्तान के लिए अलग है।
क्या यह अमेरिकी कार्रवाही, एक देश का दूसरे देश पर हमला नहीं है। यदि यह हमला नहीं है तो इसका मतलब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को इस कृत्य की जानकारी थी और वह झूठ बोल रहे हैं और यदि वह सत्य बोल रहे हैं तो यह अमेरिका का पाकिस्तान पर हमला ही तो हुआ।
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