भारत के सर्वोच्च न्यायालय में ऐसा एक मामला तब आया जब केरल हाईकार्ट ने एक पिता की रिट पर उसकी पुत्री के धर्म परिवर्तन करने के पश्चात मुस्लिम व्यक्ति शफी जहॉ से शादी कर ली। पिता की रिट पर केरल High Court ने विवाह को रद्द कर दीया, जिसके खिलाफ मुस्लिम युवक शाफी Supreme Court पहुंच गया।
पिता के बयान को Supreme Court ने गंभीरता से लिया और उसे लव जि़हाद के आईने में देखते हुए चीफ जस्टिस जे०एस० खेहर ने कहा कि-केरल में लव जि़हाद के मामले वाकई चिंता का विषय हैं। हम चाहते हैं कि उसकी गहनता से विवेचना हो, जिसके लिए एन०आई०ए० एक उपर्युक्त संस्था है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जाँच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर०वी०रवीन्द्रन करेंगे, जिससे किसी तरह की गफलत ना हो।
ब्लूव्हेल, इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया का जानलेवा गेम है। इस प्राणघातक गेम के कारण देश के कुछ बच्चों ने आत्महत्या की है। भारत के कानून एवंं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सभी तकनीकी मंचों को यह दिशा-निर्देश दिये जाते हैं कि वे तात्कालिक प्रभाव से इस लिंक को डीलिंक कर दें। ज्ञात हो यह गेम ५० दिनों की अवधि में खिलाडिय़ों को कुछ टास्क देता है, और इसका अंतिम टास्क आत्महत्या करना होता है। खिलाड़ी से हर टास्क के बाद उसको ऑनलाइन फोटो भी शेयर करने के निर्देश होते हैं। विदेश में ऐसी कई हत्याओं के बाद अब भारत के मुम्बई और पश्चिम मिदनापुर जिले में भी ऐसी आत्महत्याओं की पुस्टि हुई है। ऐसी हत्याओं के आंकड़े अभी हजार से नीचे ही हैं, फिर भी यह घनघोर चिंता का विषय है, जबकि लवजि़हाद के मामले में आत्महत्याओं का आंकड़ा दस हजार के भी पार हो गया है।
ब्लूव्हेल इंटरनेट पर खेला जा रहा है, लेकिन लवजि़हाद तो हमारी आम जिन्दगी के बीच खेला जा रहा है। हमारे सुप्रीम कोर्ट को भी आखिरकार यह मानने पर मजबूर होना पड़ा है कि लव जि़हाद भी व्लूव्हेल गेम की ही तरह है। दोनों में ही एक लक्ष्य तय करके काम किया जाता है।
लवजि़हाद में अबतक दस हजार से भी अधिक हिन्दू, ईसाई एवं सिख लड़कियों को उकसाकर धर्म परिवर्तन कराया गया, और फिर मिशन पर लगा दिया गया। मिशन पूंर्ण होने से पूर्व ही केरल की एक हिन्दू लड़की के मुस्लिम युवक शाफी के साथ किये गये विवाह को लड़की के पिता की हाईकोर्ट में गुहार के बाद रद्द कर दिया गया।
इस विवाह रद्दीकरण के पश्चात मुस्लिम लड़का सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने एन० आई० ए० से जाचं के आदेश करते हुये, कहा कि जाचं की निगरानी सेवानिवृत्त जस्टिस के० एस० राधाकृष्णन करेगें, लेकिन मुस्लिम युवक शफी जहॉ के वकील कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई कि केरल मूल के किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को मामले में जोडऩा ठीक नहीं होगा। इसके बाद चीफ जस्टिस ने रवीन्द्रन का नाम तय कर दिया।
सिब्बल का कहना था कि पीडि़त महिला से भी अदालत को बात करनी चाहिए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी ये ठीक नहीं होगा। पहले एनआईए अपनी जांच पूरी करले, तब उनकी पीठ सभी जांच रिर्पोटों पर गौर करेगी। उसके पश्चात ही महिला को सुनना बेहतर होगा।
सतीश प्रधान
(लेखक: वरिष्ठ पत्रकार,स्तम्भकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार है)