इस देश का अपना अलग कानून, अपनी राजभाषा, यहॉं तक की अपनी करेन्सी, अपना पोस्ट आफिस और अपना रेडियो स्टेशन भी है। वास्तव में यह ईसाइ धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का केन्द्र (सेन्टर) है, जिसकी सत्ता और सम्पूंर्ण शक्ति इस सम्प्रदाय के सर्वोच्चाधीष धर्मगुरू पोप के हांथों में रहती है। 1929 से इसे एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली हुई है। वेटिकन सिटी अपने खुद के पासर्पोट भी जारी करता है, जो पोप, पादरियों, कॉर्डिनल्स और स्विस गार्ड के सदस्यों (जो वेटिकन सिटी में सैन्य बल के रूप में कार्यरत हैं) को दिये जाते हैं। वेटिकन सिटी सारे विश्व में फैले कैथोलिक सम्प्रदाय के अनुयायियों की आस्था का केन्द्रबिन्दु है। इसकी मुख्य पहचान इसके सेन्टर में स्थित सैन पियेत्रो नाम के भव्य हॉल से है, जहॉं लाखों की संख्या में ईसाइ समुदाय के लोग एकत्र होकर अपने सर्वोच्चाधीष धर्मगुरू पोप का विशेष अवसरों पर दिया जाने वाला उपदेश ग्रहण करते हैं।
कैथोलिक चर्च की सारी गतिविधियॉं रोम स्थित रोमन कैथोलिक चर्च के निर्देश पर ही संचालित की जाती हैं। पोप इसके प्रमुख एवं सर्वोच्चाधीष हैं। चर्च के नियमानुसार धर्मप्रान्त क्षेत्र स्तर पर प्रत्येक बिशप का कार्यकाल उनकी 75 वर्ष की उम्र तक ही होता है, इसके बाद उन्हें रिटायर होना पड़ता है। चूंकि बिशप एंथोनी फर्नांडिस को इसी वर्ष रिटायर होना है, इसी नाते बरेली धर्मप्रान्त के लिए नये बिशप को लेकर सरगर्मियां भी तेज हैं और पूरे धर्मप्रान्त पर वेटिकन सिटी का स्कैनर लगा हुआ है।
कहा जाता है कि कैथोलिक बिशप के चयन में इलेक्शन की प्रक्रिया नहीं है। नियमानुसार प्रत्येक धर्मप्रान्त के बिशप का चयन रीजन के सभी बिशप मिलकर सर्वानुमति से करते हैं। बरेली रीजन में दस धर्मप्रान्त हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और राजस्थान को मिलाकर बरेली एक रीजन है। इस बरेली रीजन में दस धर्मप्रान्त हैं इन सभी धर्मप्रान्तों के बिशप, बरेली धर्मप्रान्त रीजन के बिशप का चयन करेंगे। इसी वर्ष यह प्रक्रिया शुरू होनी है, जिसके बाद ये सारे बिशप किसी एक के नाम पर अपनी सहमति रोमन कैथोलिक चर्च के दिल्ली स्थित प्रतिनिधियों के जरिए पोप को भेजेंगे। अन्त में जब सर्वोच्चाधीष पोप उस नाम पर अपनी मुहर लगा देंगे, तभी नये बिशप का नाम घोषित कर दिया जायेगा।
(सतीश प्रधान)