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Saturday, April 17, 2021

फेसबुक ने अक्षय ऊर्जा खरीदने के लिए क्लीनमैक्स से की साझेदारी

 नयी दिल्ली। फेसबुक ने संवहनीयता उपायों के तहत भारत में शत प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए क्लीनमैक्स के साथ साझेदारी की है। कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि समझौते के तहत फेसबुक और क्लीनमैक्स, पवन तथा सौर परियोजनाएं तैयार करेंगे, जो भारत के बिजली ग्रिड को अक्षय ऊर्जा की आपूर्ति करेगा।

बयान के मुताबिक, ‘‘फेसबुक और क्लीनमैक्स ने आज भारत में फेसबुक के संवहनीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक साझेदारी की घोषणा की, जिसके तहत क्लीनमैक्स के पवन और सौर ऊर्जा संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति की जाएगी।

बयान में कहा गया कि इस समझौते के तहत कर्नाटक में स्थित 32 मेगावाट की पवन परियोजना को चालू किया जाएगा। इस समझौते के तहत क्लीनमैक्स के पास परियोजनाओं का स्वामित्व होगा और वह संचालन करेगी, जबकि फेसबुक आने वाले वर्षों में परियोजना से मिले 100 प्रतिशत पर्यावरणीय विशेषता प्रमाणपत्र  को खरीदने के लिए प्रतिबद्ध होकर दीर्घकालिक समर्थन देगा।

फेसबुक में नवीकरणीय ऊर्जा की प्रमुख उर्वी पारेख ने कहा, हम इस महत्वपूर्ण कदम की घोषणा से उत्साहित है जो भारत सहित इस क्षेत्र में हमें अपने परिचालन को 100 प्रतिशत नवीकरण ऊर्जा पर आधारित करने में मदद करेगा।

गोबर से लिपे मिट्टी के मकान-रैबासा होमस्टे

भारत, उत्तराखण्ड (पौड़ी) — कल्जीखाल ब्लॉक के सांगुणा गांव के रहने वाले 85 वर्षीय किसान विद्यादत्त शर्मा ने क्षेत्र को रैबासा की नई सौगात दे दी है। विद्यादत्त शर्मा बीते 54 सालों से लघु उद्यम व हर्बल गार्डन के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

कृषि और बागवानी के प्रति उनके लगाव होने के चलते उन पर मोतीबाग नाम से एक लघु फिल्म भी बनाई गई थी, जो ऑस्कर के लिए भी नामित हुई थी। वहीं, अब तक के प्रयासों के बाद उन्होंने अपने गांव में ही पहाड़ की शैली से निर्मित एक होमस्टे का निर्माण कर दिया है।

इसे रैबासा का नाम दिया गया है। विद्यादत्त शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी त्याग कर अपने पसीने से खेतों को सींचकर इन्हें कृषि योग्य बनाया है। वह युवाओं को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं कि गांव में कृषि, बागवानी और पर्यटन के क्षेत्र में काम कर पलायन को रोकने और अपने गांव को फिर से आबाद करने का काम करें।

विद्यादत्त शर्मा के बेटे त्रिभुवन उनियाल बताते हैं कि पहाड़ की शैली से बनने वाले घर धीरे-धीरे लुप्त हो गए हैं। उनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही यहां जो भी पारंपरिक रूप से कार्य किए जाते हैं उसे पर्यटक व अन्य लोग भी सीख सकें और उसे आने वाली पीढ़ी को भी सौंप सकें।

रैबासा होमस्टे की शुरूआत का मुख्य उद्देश्य यही है। त्रिभुवन उनियाल कहते हैं कि उनके पिता की उम्र काफी अधिक है। बावजूद उनका अपने गांव के प्रति प्रेम और जज्बा ही उन्हें लगातार कृषि, बागवानी, मौन पालन और विभिन्न कार्यों के लिए प्रोत्साहित करता है।

वह लंबे समय से जल संरक्षण पर भी कार्य कर रहे हैं। अधिक उम्र के बावजूद भी उनका इतनी मेहनत कर अपने गांव को खुशहाल बनाना अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन रहा है।

Vidya-Dutt-Sharma 









भारत से अपनी दुकान क्यों समेट रहा सिटी बैंक

प्रमुख अमेरिकी बैंक “सिटी बैंक” का भारत में अपना कारोबार समेटने का फैसला कुछ गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। आखिरकार क्यों विदेशी बैंकों के भारत में पैर उखड़ रहे हैं? इनके लिए भारत क्यों कठिन काम करने का स्थान साबित हो रहा है, वो भी कारोबार करने के लिहाज से ?


सिटी बैंक ने कहा कि ग्लोबल स्ट्रैटजी के हिस्से के रूप में वह भारत में अपना कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस बंद करने जा रहा है। 1985 में सिटी बैंक ने भारत में कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस शुरू किया था।

अगर पीछे मुड़कर देखें तो पता चलता है कि बैंक आफ अमेरिका ने 1998 में, एएनजे ग्रिंडलेज बैंक ने 2000 में, एबीएन ऐमरो बैंक ने 2007 में, ड्यूश बैंक ने 2011 में, आईएनजी ने 2014, आबीएस ने 2015 में अपने भारत के कारोबार को या तो कम किया या बंद कर दिया। एचएसबीसी ने 2016 में अपने कामकाज बंद तो नहीं किया पर अपनी शाखाओं की तादाद को बहुत ही कम कर दिया।

विदेशी बैंकों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह रहती है कि यह सिर्फ मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरू, कोलकता, चैन्नई जैसे महानगरों और अहमदाबाद, गुरुग्राम, चंडीगढ़, इंदौर जैसे बड़े नगरों और शहरों में कार्यरत रहकर ही अपने लिए मोटे मुनाफे की उम्मीद करते हैं। ये गिनती भर की शाखाएं ही खोलते हैं।

ये सोचते है कि एटीएम खोलने भर से बात बन जाएगी। ये एटीएम को शाखा के विकल्प के रूप में देखते हैं। यह सोच बिल्कुल सही नहीं है। इन्हें समझ ही नहीं आता कि आम हिन्दुस्तानी को बैंक में जाकर बैंक कर्मी से अपनी पास बुक या एफडी पॉलिसी को अपडेट करवाने में ही आनंद मिलता है। वहां पर उसे बैंक की नई स्कीमों के बारे में भी पता चलता है।

बैंकिग सेक्टर को जानने वाले जानते हैं कि जो बैंक जितनी नई शाखाएं खोलता है, वह उतना ही जनता के बीच में या कहें कि अपने ग्राहकों के पास पहुंच जाता है। स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक की राजधानी के व्यावसायिक हब, कनॉट प्लेस इलाके में ही लगभग 10-10 शाखाएं कार्यरत हैं।

इसी तरह से कई प्रमुख भारतीय बैंक भारत के छोटे-छोटे शहरों, कस्बों और गांवों तक में फैले हुये हैं। एचडीएफसी, कोटक महेंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक तो प्राइवेट बैंक हैं। फिर भी इन्हें पता है कि ये उसी स्थिति में आगे जाएंगे जब ये भारत के सभी हिस्सो में अपनी शाखाएं या एटीएम खोलेंगे। ये इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

आप बता दीजिए कि क्या किसी विदेशी बैंक ने बिहार के किसान को ट्रैक्टर खरीदने या आंध्र प्रदेश के युवा उद्यमी को अपना कारोबार चालू करने के लिए लोन दिया? क्या किसी को याद है कि एएनजे ग्रिंडलेज बैंक, एबीएन ऐमरो बैंक, ड्यूश बैंक, आईएनजी या आरबीएस ने कभी झारखंड के ग्रामीण इलाकों, छतीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों या फिर उड़ीसा के सुदूर इलाकों में अपनी कोई शाखा खोली हो ?

अगर नहीं खोली तो क्यों नहीं खोली? क्या इनके लिए भारत का मतलब सिर्फ चंद-एक गिनती भर के शहर हैं। यह तो कोई बात नहीं हुई। इन्हें भारत में अपना कारोबार करने का अधिकार है। इन्हें यह भी अधिकार है कि ये भारत में कारोबार करके मुनाफा भी कमाएं। आखिर इन्होंने निवेश भी किया होता है। पर इन्हें सिर्फ और सिर्फ मुनाफे को लेकर नहीं सोचना चाहिए।

कहने दें कि ये विदेशी बैंक तो मोटी जेबों वालों के लिए ही अपनी आकर्षक सेवाएं लेकर आते हैं। इनके टारगेट वे ग्राहक पढ़े लिखे आधुनिक नौजवान भी होते हैं जो मोटी सैलरी पर नौकरी कर रहे होते हैं। सिटी बैंक कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस में क्रेडिट कार्ड्स, रीटेल बैंकिंग, होम लोन जैसी सेवाएं दे रहा था।

इस समय भारत में सिटी बैंक की 35 शाखाएं हैं। गौर करें कि सिर्फ 35 शाखाओं के साथ चल रहे “सिटी बैंक” को वित्त वर्ष 2019-20 में 4,912 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था जो इससे पूर्व के वित्त वर्ष में 4,185 करोड़ रुपये था।

देखिए कि भारत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सर्वोच्च बैंकिंग नियामक अथॉरिटी है। आरबीआई देश में बैंकिंग व्यवस्था के लिए नियम बनाता है और देश की मौद्रिक नीति के बारे में फैसले लेता है। भारत के बैंकिंग क्षेत्र में पांच तरह के बैंक काम करते हैं। ये हैं निजी क्षेत्र के बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक, ग्रामीण बैंक और कोआपरेटिव बैंक।

अगर बात प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों से शुरू करें तो हमारे प्रमुख प्राइवेट बैंक हैं; एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक और एक्सिस बैंक आदि। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक उन्हें कहा जाता है जिनमें मेजर हिस्सेदारी (51%) सरकार के पास होती है। इनमें पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया एवं अन्य कॉमर्सियल बैंक आदि आते हैं।

अब बात करते हैं विदेशी बैंकों की। भारत के लिए विदेशी बैंक दो प्रकार के होते हैं। पहले, वे बैंक जो भारत में अपनी ब्रांच खोलते हैं और दूसरे वे बैंक जो भारत में अपनी प्रतिनिधि बैंकों की शाखा के माध्यम से बिज़नेस करते हैं। इन बैंकों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस और सिटी बैंक आदि आते हैं। इनके अलावा, भारत में विभिन्न ग्रामीण बैंक और कोआपरेटिव बैंक अर्बन कोआपरेटिव बैंक सहित भी सक्रिय हैं। इनकी ग्राहक संख्या भी लाखों में है।

एक बिन्दु पर साफ राय रखने की जरूरत है कि उन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कामकाज के स्तर को बहुत बेहतर करने की जरूरत है जिन्हें हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कहते हैं। इनकी स्थिति से तो सारा देश वाकिफ है। देखिए कि बैंकिंग अपने आप में आम जनता से जुड़े हुए सेवा का क्षेत्र है। यह सेवा क्षेत्र में ही आता है। अबकि अब ऐसा नहीं है और सेवा के नाम पर यहां भी सेवा शुल्क की वसूली शुरू हो चुकी है। अब सेवा के नाम पर एक भी कार्य ऐसा नहीं बचा है, जो बगैर शुल्क के किाया जाता हो।

यहां पर तो वही बैंक आगे जाएगा जो अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देगा, जिसकी अधिक से अधिक शाखाएं होंगी, उसके अफसर और बाकी स्टाफ अपने ग्राहकों के हितों का ध्यान रखेंगे। कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तो इसलिए ही जनता के बीच जमे हुए हैं, क्योंकि, उन्हें भारत सरकार से भी मोटा बिजनेस मिल जाता है। अगर सरकार उन्हें अपने रहमो करम पर छोड़ दे तो ये पानी भी न मांगे।

देखिए भारत का बाजार अपने आप में अनंत सागर की तरह है। इसमें सबके लिए काम करके जगह बनाने और कमाने के पर्याप्त अवसर हैं। पर भारत के बाजार में वही बैंक टिकेंगे जो ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं और जिनकी उपस्थिति महानगरों से लेकर गांवों-कस्बों तक में होगी।

राज किशोर सिन्हा

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तम्भकार और पूर्व सांसद हैं।)

Saturday, January 30, 2021

बिलों पर मोदी बनाते थे दबाव: अंसारी



भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी आत्मकथा बाय मैनी अ हैप्पी एक्सीडेंट में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पर हंगामे के बीच राज्यसभा में बिलों को पारित करने का दबाव डाला था। अंसारी के मुताबिक उन्होंने हंगामे के बीच किसी भी बिल को पारित करने से इनकार किया था।

अंसारी ने किताब में लिखा है कि एक दिन अचानक पीएम मोदी उनके कमरे में आ गए। सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता कि कोई पीएम बिना किसी कार्यक्रम के ऐसे सभापति से मिले। लेकिन पीएम पहुंचे और बोले कि सभापति के रूप में उनकी यह भूमिका की कोई भी बिल हंगामे में पारित नहीं होगा] राज्यसभा से बिल पारित कराने में अड़चन पैदा कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आप से बड़ी जिम्मेदारियों की अपेक्षा है, लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं। अंसारी ने इस किताब में लिखा है कि एनडीए को ऐसा लगा कि लोकसभा में उसका बहुमत उसे राज्यसभा के नियमों को दरकिनार करने का नैतिक अधिकार देता है। अपनी किताब में अंसारी ने कहा है कि उन्होंने बतौर राज्यसभा के सभापति, निर्णय लिया था कि वह कोई भी विधेयक हंगामे और शोर-शराबे में पारित नहीं होने देंगे।

Monday, January 25, 2021

भारतीय गणतंत्र दिवस पर इतिहास की अजूबी किसान ट्रैक्टर रैली

विश्व की यह पहली किसान क्रान्ति है जिसका किसान आंदोलन के रूप में आज 61वां दिन है। मंगलवार यानी 26 जनवरी 2021 को जब किसान आंदोलन अपने 62वें दिन में प्रवेश करेगें तो विश्व पटल पर एक नया इतिहास रचा जायेगा। एक तरफ जहां पारंपरिक रूप से राजपथ पर परेड निकलेगी तो वहीं दूसरी तरफ किसान ट्रैक्टर रैली का एक विहंगम दृश्य अवलोकित होगा जो निश्चित रूप से एक ऐसा इतिहास लिखेगा जो अबतक की सारी क्रान्तियों को पीछे छोड़ देगा। 




पिछले दो महीने से किसान भारत की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आनन-फानन में लाये गये तीन नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। लगभग एक दर्जन दौर की बातचीत सरकार और किसानों के बीच हो चुकी है। लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पात बराबर ही है। किसान जहां नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं तो वहीं सरकार वापस लेने की बजाय संशोधन पर ही जोर दे रही है।

बहरहाल विश्वभर की निगाहें भारत में होने वाली कल की ट्रैक्टर रैली पर टिकी हैं। दिल्ली पुलिस के इस खुलासे के बाद कि पाकिस्तान से ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा भड़काने की कोशिश हो रही है। सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, 13 से 18 जनवरी के बीच दिल्ली पुलिस की खुफिया शाखा ने पाकिस्तान से संचालित हो रहे 308 ट्विटर हैंडिल की पहचान की है। इनके जरिए किसान आंदोलन के दौरान हिंसा भड़काने की साजिश रची जा रही थी। यह खुलासा दिल्ली पुलिस इंटेलिजेंस के स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक ने किया है।




संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस रिलीज

दिल्ली पुलिस के इस खुलासे के बाद किसान संगठन भी सतर्क हो गए हैं और उन्होंने रैली में शामिल होने के लिए एक गाइडलान जारी की है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से योगेंद्र यादव ने परेड से संबंधित जानकारियां साझा की हैं। उसके अनुसार, परेड में ट्रैक्टर और दूसरी गाड़ियां चलेंगी, लेकिन ट्रॉली नहीं जाएगी। जिन ट्रालियों में विशेष झांकी बनी होगी, उन्हें छूट दी जा सकती है। मोर्चा ने परेड में शामिल होने के इच्छुक लोगों के लिए एक नंबर भी जारी किया है, जिस पर मिस्ड कॉल देने पर व्यक्ति परेड में शामिल हो सकता है।

24 घंटे का रखना होगा राशन-पानी

साथ ही परेड में शामिल लोगों को अपने साथ 24 घंटे का राशन-पानी का इंतजाम भी करने को कहा गया है, ताकि जाम में फंसने पर किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। हर ट्रैक्टर या गाड़ी पर किसान संगठन के झंडे के साथ-साथ राष्ट्रीय झंडा भी लगाया जाए। ट्रैक्टर या परेड में किसी भी राजनीतिक पार्टी का झंडा नहीं लगेगा। साथ ही लोगों को किसी भी तरह हथियार रखने और भड़काऊ नारा लगाने से भी परहेज करने को कहा गया है।

जरूरी सूचना: किसान गणतंत्र परेड में इन राज्यों से दिल्ली आए जो किसान अपने राज्य की झांकी में हिस्सा लेना चाहते हैं वो तुरंत संपर्क करें।

राज्य: हिमाचल, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़,झारखंड, बिहार, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर,मिजोरम, नागालैंड,अरुणाचल

संपर्क: 9872890401 pic.twitter.com/iDtwbxZyma

— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 24, 2021

परेड के दौरान हिदायतें

मोर्चा ने परेड के दौरान की हिदायत जारी करते हुए कहा है कि परेड की शुरुआत किसान नेताओं की गाड़ी से होगी। उनसे पहले कोई ट्रैक्टर या गाड़ी रवाना नहीं होगी। वहीं परेड में शामिल सभी को हरे रंग की जैकेट पहने ट्रैफिक वॉलिंटियर की हर हिदायत को मानना ही पड़ेगा।

सभी गाड़ियां तय रूट पर ही चलेंगी, जो गाड़ी रूट से बाहर जाने की कोशिश करेगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई गाड़ी सड़क पर बिना कारण रुकने या रास्ते में डेरा जमाने की कोशिश करती है, तो वॉलंटियर उन्हें हटाएंगे। एक ट्रैक्टर पर ज्यादा से ज्यादा ड्राइवर समेत पांच लोग सवार होंगे। बोनट, बंपर या छत पर कोई नहीं बैठेगा। ट्रैक्टर में कोई अपना ऑडियो डेक नहीं बजाएगा। परेड में किसी भी किस्म के नशे की मनाही रहेगी। साथ ही औरतों की इज्जत करनी होगी और सड़क पर कचरा फेंकना मना होगा।

इमरजेंसी की हिदायतें

परेड के दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति से निबटने के लिए भी मोर्चे की तरफ से कुछ हिदायतें जारी की गई हैं, जिसके अनुसार लोगों को अफवाह से बचने और सूचना की प्रामाणिकता जांचने की सलाह दी गई है। परेड में एंबुलेंस की व्यवस्था भी रहेगी।

जरूरी सूचना: किसान गणतंत्र परेड में इन राज्यों से दिल्ली आए जो किसान अपने राज्य की झांकी में हिस्सा लेना चाहते हैं वो तुरंत संपर्क करें।

राज्य: हिमाचल, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़,झारखंड, बिहार, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर,मिजोरम, नागालैंड,अरुणाचल

संपर्क: 9872890401 pic.twitter.com/iDtwbxZyma

— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 24, 2021

किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी होने पर हेल्पलाइन नंबर या नजदीकी वालंटियर से संपर्क करने की सलाह दी गई है। ट्रैक्टर या गाड़ी खराब होने की स्थिति में उसे बिल्कुल साइड में लगाया जाएगा और किसी भी तरह की वारदात होने पर पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी गई है।

ट्रैक्टरों की संख्या से जुड़े सवाल के जवाब में स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक ने बताया कि अभी ट्रैक्टरों की संख्या का पता नहीं चल पाया। मौजूदा समय में दिल्ली के चारों प्रदर्शन स्थल पर लगभग 10 से 12 हजार ट्रैक्टर मौजूद हैं। अभी कुछ ट्रैक्टरों के आने की भी सूचना है तो ऐसे में हम उम्मीद लगा रहे हैं कि 14 से 15 हजार ट्रैक्टर किसान परेड में शामिल होंगे। किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान परेड का दिल्ली में 100 किलोमीटर से ज्यादा का रूट होगा। इन सभी मार्गों पर दिल्ली पुलिस द्वारा सुरक्षा के विशेष इंतजाम भी किए जाएंगे।

किसान संगठनों का दावा

ट्रैक्टर रैली के बारे में किसान यूनियन के सदस्य जसवंत सिंह ने बताया कि 26 तारीख को अलग-अलग राज्यों से लगभग 30 लाख ट्रैक्टर दिल्ली पहुंचेंगे। इसमें 1 लाख ट्रैक्टर पंजाब से, 1.5 लाख ट्रैक्टर हरियाणा से, 50 हजार ट्रैक्टर यूपी से, 50 हजार ट्रैक्टर राजस्थान से, 25 हजार ट्रैक्टर उत्तराखंड से आ रहे हैं। इसके अलावा 50 हजार ट्रैक्टर बिहार और अन्य कई राज्यों से भी आ रहे हैं। इसमें मध्य प्रदेश, केरल और गुजरात आदि राज्य शामिल हैं। इस ट्रैक्टर रैली में 3 करोड़ किसान शामिल होंगे जो सरकार को अपनी एकता का सुबुत देंगे।



निकलेंगी झांकियां

आंदोलनकारी किसानों की 'गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर परेड' में विभिन्न राज्यों की कई झांकियां होंगी जो ग्रामीण जीवन, केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के साथ ही आंदोलनकारियों के साहस को दर्शाएंगी। यह जानकारी आयोजकों ने दी। एक किसान नेता ने बताया कि प्रदर्शन में शामिल होने वाले सभी संगठनों को परेड के लिए झांकी तैयार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा, देशभर से लगभग एक लाख ट्रैक्टर-ट्रॉलियां परेड में शामिल होंगी। इनमें से लगभग 30 प्रतिशत पर विभिन्न विषयों पर झांकियां होंगी, जिसमें भारत में किसान आंदोलन का इतिहास, महिला किसानों की भूमिका और विभिन्न राज्यों में खेती के अपनाये जाने वाले तरीके शामिल होंगे।